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गर्भाशय कैंसर (एंडोमेट्रियल कैंसर): लक्षण, कारण, निदान और उपचार

गर्भाशय कैंसर (एंडोमेट्रियल कैंसर): लक्षण, कारण, निदान और उपचार

गर्भाशय कैंसर, जिसे एंडोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है, महिलाओं में होने वाला एक सामान्य कैंसर है। यह कैंसर गर्भाशय के भीतरी परत (एंडोमेट्रियम) में उत्पन्न होता है। एंडोमेट्रियम वह परत है, जो हर महीने मासिक धर्म के दौरान गिरती है और गर्भावस्था की स्थिति में यह विकसित होती है। इस प्रकार का कैंसर आमतौर पर अधिक उम्र की महिलाओं में होता है, लेकिन इसे किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है।

एंडोमेट्रियल कैंसर के लक्षण

एंडोमेट्रियल कैंसर के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं जिन्हें पहचानने से समय रहते इलाज की संभावना बढ़ जाती है। इनमें शामिल हैं:

  1. अत्यधिक और असामान्य रक्तस्राव: गर्भाशय कैंसर का सबसे सामान्य लक्षण असामान्य रक्तस्राव है। यह लक्षण खासकर पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में अधिक देखा जाता है, लेकिन यह उम्र से पहले मासिक धर्म शुरू होने वाली महिलाओं में भी हो सकता है।
  2. मासिक धर्म में बदलाव: यदि महिला की उम्र 45-55 वर्ष के बीच हो और उसका मासिक धर्म सामान्य था, तो इसके अचानक असामान्य रूप से बढ़ने या रक्तस्राव में वृद्धि का संकेत गर्भाशय कैंसर हो सकता है।
  3. पेट में दर्द या सूजन: गर्भाशय कैंसर से प्रभावित महिलाएं कभी-कभी पेट में असामान्य दर्द या सूजन महसूस कर सकती हैं, जो कि कैंसर के फैलने के संकेत हो सकते हैं।
  4. कमर और पीठ में दर्द: गर्भाशय कैंसर का एक और लक्षण कमर और पीठ में दर्द होता है, जो सामान्य दर्द से अधिक गंभीर और लगातार होता है।
  5. वजन में अचानक वृद्धि या कमी: अगर वजन में अचानक बदलाव हो रहा हो, तो यह कैंसर के फैलने का संकेत हो सकता है।
  6. पेट की परेशानी और पाचन में बदलाव: कभी-कभी एंडोमेट्रियल कैंसर के कारण महिलाओं को पाचन में समस्या जैसे पेट में भारीपन या कब्ज का सामना करना पड़ सकता है।

एंडोमेट्रियल कैंसर के कारण

एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ कारक हैं जो इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. हॉर्मोनल असंतुलन: गर्भाशय कैंसर का सबसे बड़ा कारण हॉर्मोनल असंतुलन माना जाता है। खासकर, असामान्य रूप से उच्च एस्ट्रोजन स्तर कैंसर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
  2. उम्र: एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता है। यह आमतौर पर 50 वर्ष के बाद महिलाओं में होता है, जब मासिक धर्म समाप्त हो जाते हैं (मेनोपॉज़)।
  3. मोटापा: मोटे लोग उच्च एस्ट्रोजन स्तर के संपर्क में रहते हैं, जो गर्भाशय कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अधिक वसा शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाती है।
  4. अनुवांशिकी: यदि परिवार में गर्भाशय कैंसर का इतिहास रहा है, तो इसकी संभावना अधिक हो सकती है। विशेष रूप से, हर्प्स गेनिटैलिस सिंड्रोम जैसी स्थितियां भी जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
  5. गर्भवती न होना: महिलाएं जिनका गर्भावस्था का अनुभव नहीं होता, उन महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा ज्यादा हो सकता है।
  6. मधुमेह और उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी स्थितियां गर्भाशय कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

एंडोमेट्रियल कैंसर का निदान

गर्भाशय कैंसर का सही समय पर निदान करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि उपचार प्रभावी हो सके। इसके लिए कई परीक्षण किए जा सकते हैं:

  1. पैप स्मीयर: यह एक सामान्य परीक्षण है, जो गर्भाशय के ग्रीवा के लिए किया जाता है, लेकिन इससे एंडोमेट्रियल कैंसर का पता नहीं चलता है। हालांकि, डॉक्टर अन्य जांचों के लिए इस परीक्षण का अनुसरण कर सकते हैं।
  2. बायोप्सी: अगर डॉक्टर को संदिग्ध लक्षण दिखते हैं, तो एंडोमेट्रियल बायोप्सी की प्रक्रिया की जा सकती है। इस दौरान, एंडोमेट्रियम से कोशिकाओं का एक छोटा नमूना लिया जाता है, जिसे माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है।
  3. अल्ट्रासाउंड: एंडोमेट्रियल कैंसर का निदान करने के लिए ट्रांसवागिनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। यह जांच गर्भाशय की आंतरिक परत की मोटाई को दिखाती है।
  4. सीटी स्कैन और एमआरआई: अगर कैंसर फैलने का संदेह हो, तो सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर यह देख सकते हैं कि कैंसर कहां तक फैल चुका है।
  5. हिस्टो-पैथोलॉजिकल परीक्षण: यदि बायोप्सी में संदिग्ध कोशिकाएं पाई जाती हैं, तो उनका विस्तृत परीक्षण किया जाता है ताकि यह पुष्टि की जा सके कि यह कैंसर है या नहीं।

एंडोमेट्रियल कैंसर का उपचार

एंडोमेट्रियल कैंसर का उपचार कैंसर के चरण और महिला की समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर इस कैंसर का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

  1. सर्जरी: गर्भाशय कैंसर का प्राथमिक उपचार सर्जरी है। इसमें गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को हिस्टेरेक्टमी कहा जाता है। कभी-कभी लसीका नोड्स और आसपास के ऊतकों को भी हटा दिया जाता है।
  2. रेडियोथेरेपी: कैंसर के कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। यह बाहरी या आंतरिक रूप में हो सकती है, जहां रेडियेशन गर्भाशय के आस-पास के प्रभावित क्षेत्र पर डाला जाता है।
  3. कीमोथेरेपी: जब कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है, तो कीमोथेरेपी दी जा सकती है। इसमें शक्तिशाली दवाएं कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दी जाती हैं।
  4. हॉर्मोनल उपचार: अगर कैंसर एस्ट्रोजन संवेदनशील है, तो हॉर्मोनल उपचार का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकता है।
  5. इम्यूनोथेरेपी: कुछ मामलों में, इम्यूनोथेरेपी का भी प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है।

इंदौर में इलाज

इंदौर में विभिन्न अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भाशय कैंसर का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा किया जाता है। यहां के अस्पतालों में अत्याधुनिक तकनीकों के साथ इलाज प्रदान किया जाता है। यदि आपको या किसी जानने वाले को गर्भाशय कैंसर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत इंदौर में डॉक्टर से संपर्क करें। विशेषज्ञ डॉक्टर आपके लक्षणों का मूल्यांकन करके उचित निदान और उपचार की सलाह देंगे।

एंडोमेट्रियल कैंसर एक गंभीर स्थिति हो सकता है, लेकिन समय पर निदान और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आप इंदौर में इलाज के लिए देख रहे हैं, तो यहां कई विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं जो इस रोग का इलाज कर सकते हैं। सही समय पर उपचार से जीवन को बचाया जा सकता है, इसलिए लक्षणों को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. गर्भाशय कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
    गर्भाशय कैंसर के शुरुआती लक्षणों में असामान्य रक्तस्राव (विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद), भारी या अनियमित मासिक धर्म, पेट में दर्द, वजन में अनियंत्रित बदलाव, और पीठ के निचले हिस्से में दर्द शामिल हो सकते हैं। यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
  2. एंडोमेट्रियल कैंसर के मुख्य कारण क्या हैं?
    गर्भाशय कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारकों में हार्मोनल असंतुलन (एस्ट्रोजेन का उच्च स्तर), आयु (50 वर्ष से अधिक की महिलाएं), मोटापा, मधुमेह, कैंसर का पारिवारिक इतिहास और लिंच सिंड्रोम जैसी स्थितियाँ शामिल हैं। इन कारकों का संयोजन गर्भाशय कैंसर के विकास में योगदान कर सकता है।
  3. गर्भाशय कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
    गर्भाशय कैंसर का निदान विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है, जैसे कि बायोप्सी (एंडोमेट्रियल ऊतक का नमूना लेकर कैंसर कोशिकाओं की जांच), ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासाउंड (एंडोमेट्रियम की मोटाई का मूल्यांकन करने के लिए), और कैंसर के फैलाव की जांच के लिए सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षण।
  4. गर्भाशय कैंसर के उपचार के विकल्प क्या हैं?
    गर्भाशय कैंसर के उपचार में आमतौर पर सर्जरी शामिल होती है, जिसमें गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूबों को हटाया जाता है। कैंसर के चरण के आधार पर, अन्य उपचारों जैसे कि रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी या इम्यूनोथेरेपी की सिफारिश की जा सकती है।
  5. इंदौर में गर्भाशय कैंसर का इलाज कहां करवा सकते हैं?
    इंदौर में कई प्रतिष्ठित स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां अनुभवी गायनोकॉलोजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट गर्भाशय कैंसर के निदान और उपचार में विशेषज्ञ होते हैं। आप इंदौर में एक विशेषज्ञ से परामर्श करके व्यक्तिगत देखभाल और समय पर उपचार प्राप्त कर सकते हैं।

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